शुक्रवार, ६ ऑक्टोबर, २०१७
भारतीय अर्थव्यवस्था में आने वाला है बड़ा बूम, 6 खरब डाॅलर तक पहुंच जायेगी भारतीय अर्थव्यस्था, दुनियां मंे तीसरे पायदान पर होंगे हम। बडे़-बड़े देश भरेंगे भारत के सामनें पानी। तुश्टिकरण की नीति न अपना कर देश की अर्थव्यवस्था के ढांचे को सुधारने में लगी मोदी सरकार को भले ही अपने राजनैतिक फायदे के लिए विरोधी आज हाशिये पर खड़ा कर रहे हों लेकिन ह़कीकत क्या है ये जानकार समझ रहे हैं। इन सुधारों के दूरगामी परिणाम का आंकलन खुद जनता भी लगा रही है।
ग्लोबल फाइनेन्शियल सर्विस फर्म माॅर्गन स्टेनली ने जो रिपोर्ट पेश की है, उससे साफ होता है कि सरकार सुधार के सही रास्ते पर चल रही है। इस रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले 10 सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था 6 खरब डाॅलर तक पहुंच जायेगी। इतना ही नहीं भारत का उपभोक्ता क्षेत्र भी बढ़कर करीब डेढ़ खरब डॉलर पहुंच सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था दुनियां में तीसरे पायदान पर होगी। माॅर्गन स्टेनली के मुताबिक आने वाले दशक में भारत की वास्तविक जीडीपी 7.1 फीसदी और सांकेतिक जीडीपी 11.2 फीसदी तक पहुंच जायेगी। इसके पीछे सरकार के डिजिटलीकरण प्रयासों का सबसे महत्वपूर्ण योगदान होगा।
माॅर्गन स्टेनली की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि साल 2018 में ही भारत की अर्थव्यवस्था में बड़े पाॅज़िटिव बदलाव आयेंगे जो इसे आगे लेकर जायेंगे। मतलब अब देश की अर्थव्यवस्था के अच्छे दिनों के लिए ज़्यादा इंतज़ार नहीं करना होगा।
बुधवार, २० सप्टेंबर, २०१७
आज जब राजनीति में हर तरफ परिवारवाद को बोलबाला हो, सियासी परिवारों में कलह की खबरें लगातार सुर्खियों में हों, ऐसे में गुजरात में रहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परिवार पर एक नजर डालना जरूरी है. राजनीति के मौजूदा दौर में आपको मोदी परिवार की कहानी काफी दिलचस्प लगेगी.
आपको यह जानकर अचरज होगा कि प्रधानमंत्री मोदी के भाई-भतीजे और परिवार के दूसरे सदस्य उनकी ऊंची अहमियत से दूर लगभग अनजान-सी जिंदगी जी रहे हैं. इस परिवार में कोई फिटर पद से रिटायर हुआ है , कोई पेट्रोल पंप पर सहायक है, कोई पतंग बेच कर गुजारा करता है, तो कोई कबाड़ का बिजनेस भी करता है. परिवार के ज्यादातर सदस्यों ने कभी हवाई जहाज के अंदर कदम तक नहीं रखा है….
अक्टूबर में पुणे में एक एनजीओ के कार्यक्रम में 75 वर्षीय सोमभाई मोदी मंच पर मौजूद थे. तभी संचालक ने खुलासा कर दिया कि वे प्रधानमंत्री के सबसे बड़े भाई हैं. श्रोताओं में एकाएक हल्की-सी उत्तेजना फैल गई. आखिर अपने पैतृक शहर वड़गर में वृद्धाश्रम चलाने वाले सोमभाई सफाई देने आगे आए. उन्होंने कहा, ‘मेरे और प्रधानमंत्री मोदी के बीच एक परदा है. मैं उसे देख सकता हूं पर आप नहीं देख सकते. मैं नरेंद्र मोदी का भाई हूं, प्रधानमंत्री का नहीं. प्रधानमंत्री मोदी के लिए तो मैं 123 करोड़ देशवासियों में से ही एक हूं, जो सभी उनके भाई-बहन हैं.’
यह कोई बड़बोलापन नहीं है. सोमभाई प्रधानमंत्री मोदी से पिछले ढाई साल से नहीं मिले हैं, जब से उन्होंने देश की गद्दी संभाली है. भाइयों के बीच सिर्फ फोन पर ही बात हुई है. उनसे छोटे पंकज इस मामले में थोड़ा किस्मत वाले हैं.
गुजरात सूचना विभाग में अफसर पंकज की भेंट अपने मशहूर भाई से इसलिए हो जाती है कि उनकी मां हीराबेन उन्हीं के साथ गांधीनगर के तीन कमरे के सामान्य-से घर में रहती हैं. प्रधानमंत्री अपनी मां से मिलने पिछले दो महीने में दो बार आ चुके हैं और मई में हफ्तेभर के लिए दिल्ली आवास में भी ले आए थे.
कोई बेचता है पतंग, किसी का कबाड़ का कारोबार, ये है PM मोदी का परिवार
Team Dolphin September 13, 2017
आज जब राजनीति में हर तरफ परिवारवाद को बोलबाला हो, सियासी परिवारों में कलह की खबरें लगातार सुर्खियों में हों, ऐसे में गुजरात में रहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परिवार पर एक नजर डालना जरूरी है. राजनीति के मौजूदा दौर में आपको मोदी परिवार की कहानी काफी दिलचस्प लगेगी.
आपको यह जानकर अचरज होगा कि प्रधानमंत्री मोदी के भाई-भतीजे और परिवार के दूसरे सदस्य उनकी ऊंची अहमियत से दूर लगभग अनजान-सी जिंदगी जी रहे हैं. इस परिवार में कोई फिटर पद से रिटायर हुआ है , कोई पेट्रोल पंप पर सहायक है, कोई पतंग बेच कर गुजारा करता है, तो कोई कबाड़ का बिजनेस भी करता है. परिवार के ज्यादातर सदस्यों ने कभी हवाई जहाज के अंदर कदम तक नहीं रखा है….
अक्टूबर में पुणे में एक एनजीओ के कार्यक्रम में 75 वर्षीय सोमभाई मोदी मंच पर मौजूद थे. तभी संचालक ने खुलासा कर दिया कि वे प्रधानमंत्री के सबसे बड़े भाई हैं. श्रोताओं में एकाएक हल्की-सी उत्तेजना फैल गई. आखिर अपने पैतृक शहर वड़गर में वृद्धाश्रम चलाने वाले सोमभाई सफाई देने आगे आए. उन्होंने कहा, ‘मेरे और प्रधानमंत्री मोदी के बीच एक परदा है. मैं उसे देख सकता हूं पर आप नहीं देख सकते. मैं नरेंद्र मोदी का भाई हूं, प्रधानमंत्री का नहीं. प्रधानमंत्री मोदी के लिए तो मैं 123 करोड़ देशवासियों में से ही एक हूं, जो सभी उनके भाई-बहन हैं.’
यह कोई बड़बोलापन नहीं है. सोमभाई प्रधानमंत्री मोदी से पिछले ढाई साल से नहीं मिले हैं, जब से उन्होंने देश की गद्दी संभाली है. भाइयों के बीच सिर्फ फोन पर ही बात हुई है. उनसे छोटे पंकज इस मामले में थोड़ा किस्मत वाले हैं.
गुजरात सूचना विभाग में अफसर पंकज की भेंट अपने मशहूर भाई से इसलिए हो जाती है कि उनकी मां हीराबेन उन्हीं के साथ गांधीनगर के तीन कमरे के सामान्य-से घर में रहती हैं. प्रधानमंत्री अपनी मां से मिलने पिछले दो महीने में दो बार आ चुके हैं और मई में हफ्तेभर के लिए दिल्ली आवास में भी ले आए थे.
पहले प्रधानमंत्रियों के साथ रहता था पूरा कुनबा : देश के प्रधानमंत्री अमूमन परिवार वाले रहे हैं. नेहरू के साथ बेटी इंदिरा रहती थीं. उनके उत्तराधिकारी लालबहादुर शास्त्री 1, मोतीलाल नेहरू मार्ग पर अपने पूरे कुनबे के साथ रहते थे. उनके साथ बेटा-बेटी, पोता-पोती सभी रहते थे. इंदिरा गांधी के बेटे राजीव और संजय तथा उनका परिवार साथ रहते थे. यहां तक कि अविवाहित प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ भी एक परिवार था. वे 1998 में जब 7, रेसकोर्स रोड में रहने पहुंचे तो उनकी दत्तक पुत्री नम्रता और उनके पति रंजन भट्टाचार्य का परिवार भी साथ रहने आया.
परिवार से उदासीन मोदी : चाय की दुकान के मालिक दामोदरदास मूलचंद मोदी और उनकी गृहिणी पत्नी हीराबेन के छह बच्चों में से तीसरे नंबर के प्रधानमंत्री मोदी परिवार से निपट उदासीन हैं. यह लोगों को उनके निःस्वार्थ जीवन के बारे में बताने में उपयोगी है. हाल में नोटबंदी के बमुश्किल हफ्ते भर बाद 14 नवंबर को मोदी ने गोवा की एक सभा में कुछ भावुक होकर कहा, ”मैं इतनी ऊंची कुर्सी पर बैठने के लिए पैदा नहीं हुआ. मेरा जो कुछ था, मेरा परिवार, मेरा घर…मैं सब कुछ देशसेवा के लिए छोड़ आया.” यह कहते समय उनका गला भर्रा गया था.
मोदी परिवार की गुमनाम जिंदगी : मोदी अपने परिवार को कितना पीछे छोड़ आए, यह गुजरात का एक चक्कर लगा लेने से ही जाहिर हो जाता है. मोदी कुनबा आज भी उसी तरह गुमनाम मध्यवर्गीय जिंदगी जी रहा है जैसी वह 2001 में नरेंद्र भार्ई के पहली बार मुख्यमंत्री बनने के समय जीता था. प्रधानमंत्री के एक और बड़े भाई 72 वर्षीय अमृतभाई एक प्राइवेट कंपनी में फिटर के पद से रिटायर हुए हैं. 2005 में उनकी तनख्वाह महज 10,000 रु. थी.
वे अब अहमदाबाद के घाटलोदिया इलाके में चार कमरे के मध्यवर्गीय आवास में रिटायरमेंट के बाद वाला जीवन जी रहे हैं. उनके साथ बेटा, 47 वर्षीय संजय, उसकी पत्नी और दो बच्चे रहते हैं. संजय छोटा-मोटा कारोबार चलाते हैं. संजय के बेटे नीरव और बेटी निराली दोनों इंजीनियरिंग पढ़ रहे हैं. आइटीआइ पास कर चुके संजय अपनी लेथ मशीन पर छोटे-मोटे कल-पुर्जे बनाते हैं और ठीक-ठाक जीवन जी रहे हैं, लेकिन मध्यवर्गीय दायरे में ही. 2009 में खरीदी गई कार घर के बाहर ढकी खड़ी रहती है. उसका इस्तेमाल खास मौकों पर ही होता है क्योंकि पूरा परिवार ज्यादातर दो-पहिया वाहनों पर ही चलता है.
कभी हवाई जहाज के अंदर नहीं गए : संजय का परिवार बतलाता है कि उन लोगों को अभी किसी यात्री विमान को अंदर से देखने का मौका नहीं मिला है. वे लोग मोदी से सिर्फ दो बार मिले हैं. एक बार 2003 में बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने गांधीनगर के अपने घर में पूरे परिवार को बुलाया था और दूसरी बार 16 मई, 2014 को जब बीजेपी ने लोकसभा में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी (फिर उसी गांधीनगर के घर में). सत्ताधर रिहाइशी सोसाइटी में हर कोई जानता है कि अमृतभाई प्रधानमंत्री के भाई हैं. लेकिन स्थानीय किंवदंतियों पर यकीन करें तो संजय का जिस बैंक में खाता है, उसके अधिकारी इस तथ्य से परिचित नहीं हैं. उनके बेटे प्रियांक को हाल में पैसा निकालने के लिए लंबी लाइन में खड़े देखा गया.
संभाल के रखा है मोदी का आयरन प्रेस और सिन्नी पंखा : संजय के पास सबसे कीमती थाती वह स्मृति चिह्न है जिससे उनके चाचा के करीने से इस्तरी किए कपड़े पहनने की आदत का पता चलता है. मोदी शायद इस आयरन का इस्तेमाल अमृतभाई के साथ अहमदाबाद में 1969 से 1971 के बीच रहने के दौरान किया करते थे. संजय बताते हैं कि उन्होंने अपने मां-बाप को 1984 में इसे कबाड़ में बेचने से मना कर दिया था (लगता है, उन्हें अपने चाचा की महानता का पहले ही एहसास हो गया था). अगर काका (मोदी) आज इस आयरन को देखें तो उन्हें ऐसा ही लगेगा जैसे टाइटेनिक का अवशेष मिला हो…जैसा डूबे जहाज से मिले व्यक्तिगत सामान को देख लोगों को लगा था. यह घर भी उनके चाचा को भविष्य में म्युजियम की तरह लगेगा. सिन्नी ब्रांड का वह पंखा आज भी है जिसे मोदी गर्मी में इस्तेमाल
कभी फायदा उठाने की कोशिश नहीं की : आरएसएस का नियम है कि प्रचारक को परिवार के सदस्यों से दूरी बनाए रखनी चाहिए, सो, मोदी ने 1971 में परिवार से दूरी बनानी शुरू की. वे संघ के काम पर ज्यादा ध्यान देने लगे और ब्रह्मचारी का जीवन जीने लगे. वर्षों से यही कार्यक्रम रहा. हालांकि मोदी राजनैतिक सीढिय़ां चढ़ते गए. फिर भी, उनके रिश्तेदार उन्हें गर्व से याद करते हैं.
ऐसा ही गर्व का भाव प्रधानमंत्री के मन में रहता है और वे इससे राहत महसूस करते हैं कि वे रिश्तेदारों की किसी तरह की तरफदारी की मांग से बचे हुए हैं. प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं, ”सचमुच मेरे भाइयों और भतीजों को इसका श्रेय दिया जाना चाहिए कि वे साधारण जीवन जी रहे हैं और कभी मुझ पर दबाव बनाने की कोशिश नहीं करते. आज की दुनिया में यह वाकई दुर्लभ है.’
संघर्षों और कठिनाइयों भरा जीवन : हालांकि परिवार के कुछ सदस्य मोदी के सबसे छोटे भाई प्रह्लाद मोदी से दूरी बनाए रखते हैं. वे सस्ते गल्ले की एक दुकान चलाते हैं और गुजरात राज्य सस्ता गल्ला दुकान मालिक संगठन के अध्यक्ष हैं. वे सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाने के मामले में मुख्यमंत्री मोदी की पहल से नाराज रहते हैं और दुकान मालिकों परछापा डालने के खिलाफ प्रदर्शन कर चुके हैं.
मोदी के बाकी कुनबे, उनके भाई, भतीजे, भतीजी या दूसरे रिश्तेदारों का जीवन संघर्षों और कठिनाइयों का ही है. दरअसल कुछ तो जिंदगी बेहद गरीबी में काट रहे हैं. मोदी के चचेरे भाई अशोकभाई (मोदी के दिवंगत चाचा नरसिंहदास के बेटे) तो वड़नगर के घीकांटा बाजार में एक ठेले पर पतंगें, पटाखे और कुछ खाने-पीने की छोटी-मोटी चीजें बेचते हैं. अब उन्होंने 1,500 रु. महीने में 8-4 फुट की छोटी-सी दुकान किराए पर ले ली है.
इस दुकान से उन्हें करीब 4,000 रु. मिल जाते हैं. पत्नी वीणा के साथ एक स्थानीय जैन व्यापारी के साप्ताहिक गरीबों को भोजन कराने के आयोजन में काम करके वे 3,000 रु. और जुटा लेते हैं. इसमें अशोकभाई खिचड़ी और कढ़ी बनाते हैं ओर उनकी पत्नी बरतन मांजती हैं. ये लोग शहर में एक तीन कमरे के जर्जर-से मकान में रहते हैं.
मामूली कमाई पर गुजारा : उनके बड़े भाई 55 वर्षीय भरतभाई भी ऐसी ही कठिन जिंदगी जीते हैं. वे वड़नगर से 80 किमी दूर पालनपुर के पास लालवाड़ा गांव में एक पेट्रोल पंप पर 6,000 रु. महीने में अटेंडेंट का काम करते हैं और हर 10 दिन में घर आते हैं. वड़नगर में उनकी पत्नी रमीलाबेन पुराने भोजक शेरी इलाके में अपने छोटे-से घर में ही किराना का सामान बेचकर 3,000 रु. महीने की कमाई कर लेती हैं. तीसरे भाई 48 वर्षीय चंद्रकांतभाई अहमदाबाद के एक पशु गृह में हेल्पर का काम करते हैं.
अशोकभाई और भरतभाई के चौथे भाई 61 वर्षीय अरविंदभाई कबाड़ी का काम करते हैं. वे वड़नगर और आसपास के गांवों में फेरी लगाकर पुराने तेल के टिन, और ऐसा कबाड़ खरीदते हैं और उसे ऑटोरिक्शा या राज्य ट्रांसपोर्ट की बस में ले आते हैं. इससे उन्हें 6,000-7,000 रु. महीने की कमाई हो जाती है, जो उनके और पत्नी रजनीबेन के लिए काफी है. उनका कोई बच्चा नहीं है. नरसिंहदास के बच्चों में भरतभाई और रमीलाबेन ही सबसे ज्यादा कमाई करते हैं. उनकी कमाई कई बार महीने में 10,000 रु. तक कमाई हो जाती है.नरसिंहदास के सबसे बड़े बेटे 67 वर्षीय भोगीभाई भी वड़नगर में किराने की एक दुकान से छोटी-मोटी कमाई कर लेते हैं. संयोग से नरसिंहदास के पांच बेटों में से कोई भी मैट्रिक से ऊपर नहीं पढ़ पाया.
अपने भाई दामोदरदास की ही तरह नरसिंहदास भी वड़नगर रेलवे स्टेशन के पास चाय की दुकान चलाया करते थे. दामोदरदास चार भाई थे. नरसिंहदास के अलावा नरोत्तमदास ओर जगजीवनदास. इन दोनों का इंतकाल हो चुका है. कांतिलाल और जयंतीलाल, दोनों रिटायर शिक्षक हैं. मोदी के चाचा जयंतीलाल के दामाद अब रिटायर हो चुके हैं और गांधीनगर में बस गए हैं. वे वड़नगर के पास विसनगर में बस कंडक्टर हुआ करते थे. प्रधानमंत्री की ही जाति के, वड़नगर में आरएसएस के कार्यकर्ता भरतभाई मोदी कहते हैं, ‘वड़नगर या अहमदाबाद में किसी ने नरेंद्रभाई के रिश्तेदारों को उन पर दबाव बनाते नहीं देखा. यह आज के जमाने में दुर्लभ है.’
कैंटीन में सोते थे नरेंद्र मोदी : अमृतभाई के पास नरेंद्र मोदी के आगे बढ़ने के अनेक किस्से हैं. 1969 में वे अहमदाबाद में गीता मंदिर के पास गुजरात राज्य परिवहन के मुख्यालय में एक कैंटीन चलाया करते थे. तभी मोदी उनके साथ रहने आए. अमृत भाई याद करते है, ‘कैंटीन के पास मेरा एक कमरे का मकान बहुत छोटा था, इसलिए नरेंद्रभाई कैंटीन में ही सोया करते थे. वे दिन भर का काम पूरा करते और शाम को बुजर्ग प्रचारकों की सेवा करने आरएसएस के मुख्यालय पहुंच जाया करते थे. वे देर रात लौटते और घर से आया टिफिन का खाना खाते और कैंटीन की मेज पर अपना बिस्तर लगा लेते.’
अमृतभाई वह बात याद करके भावुक हो जाते हैं जब नरेंद्रभाई फरवरी 1971 में उनसे यह कहकर जाने लगे कि वे आध्यात्मिक साधना के लिए पहाड़ों में जा रहे हैं और घर हमेशा के लिए छोड़ रहे हैं. ‘जब उसने मुझे बताया कि वह परिवार हमेशा के लिए छोड़ रहा है तो मेरी आंखों में आंसू आ गए, मगर वह शांत और संयत था.’
आरोप : कुछ लोग यह भी मानते हैं कि प्रधानमंत्री अपने रिश्तेदारों के प्रति बेहद कठोर हैं. उन्हें लंबे समय से जानने वाले एक राजनैतिक विश्लेषक कहते हैं, नरेंद्र भाई को प्रधानमंत्री बनने के बाद परिवार मिलन का एक कार्यक्रम रखना चाहिए था, जैसा कि उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद 2003 में किया था. लेकिन प्रधानमंत्री का साफ मानना है कि सत्ता के साथ किसी तरह का जुड़ाव उन्हें भ्रष्ट कर सकता है. यह भी है कि इससे भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद से नेता की छवि पर असर पड़ सकता है. इस वजह से भी उन्हें परिवार को दूर रखना पड़ता है.
शनिवार, ९ सप्टेंबर, २०१७
ज्येष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश यांच्या हत्येच्या पार्श्वभूमीवर, गुरुवारी दिवसभर ट्विटरवरून चालवण्यात आलेल्या #BlockNarendraModi या मोहिमेचा उलटाच परिणाम झालेला दिसतोय. पंतप्रधान नरेंद्र मोदींच्या फॉलोअर्सच्या संख्येत काल लक्षणीय वाढ झाली आहे.
@narendramodi हे पंतप्रधान मोदींचं ट्विटर हँडल फॉलो करणाऱ्यांची संख्या बुधवारपर्यंत ३३.७ दशलक्ष इतकी होती. ती आता ३३.८ दशलक्ष झाली आहे. म्हणजेच, काल दिवसभरात जवळपास लाखभर ट्विपल्सनी मोदींना फॉलो करण्यास सुरुवात केलीय.
गौरी लंकेश यांच्या हत्येनंतर काहींनी ट्विटरवरून आनंद व्यक्त केला होता. त्यापैकी चौघांना पंतप्रधान मोदी 'फॉलो' करत असल्याचं निदर्शनास आल्यानं अनेकांच्या भुवया उंचावल्या होत्या. त्याच्याच निषेधार्थ 'ब्लॉक मोदी' मोहीम सुरू करण्यात आली होती. ती नेमकी कुणी सुरू केली, हे स्पष्ट झालेलं नाही. मात्र, काँग्रेसशी संबंधित व्यक्ती, काँग्रेस समर्थकांचा या मोहिमेत पुढाकार होता. अनेकांनी मोदींना ब्लॉक करून आपला संताप व्यक्त केला. तर काहींनी, या असल्या मोहिमा प्रभावी नसल्याचं मत मांडलं. मोदींच्या फॉलोअर्सची वाढलेली संख्या पाहता, ही मोहीम भाजपच्या पथ्यावरच पडल्याचं बोललं जातंय.
@narendramodi हे पंतप्रधान मोदींचं ट्विटर हँडल फॉलो करणाऱ्यांची संख्या बुधवारपर्यंत ३३.७ दशलक्ष इतकी होती. ती आता ३३.८ दशलक्ष झाली आहे. म्हणजेच, काल दिवसभरात जवळपास लाखभर ट्विपल्सनी मोदींना फॉलो करण्यास सुरुवात केलीय.
गौरी लंकेश यांच्या हत्येनंतर काहींनी ट्विटरवरून आनंद व्यक्त केला होता. त्यापैकी चौघांना पंतप्रधान मोदी 'फॉलो' करत असल्याचं निदर्शनास आल्यानं अनेकांच्या भुवया उंचावल्या होत्या. त्याच्याच निषेधार्थ 'ब्लॉक मोदी' मोहीम सुरू करण्यात आली होती. ती नेमकी कुणी सुरू केली, हे स्पष्ट झालेलं नाही. मात्र, काँग्रेसशी संबंधित व्यक्ती, काँग्रेस समर्थकांचा या मोहिमेत पुढाकार होता. अनेकांनी मोदींना ब्लॉक करून आपला संताप व्यक्त केला. तर काहींनी, या असल्या मोहिमा प्रभावी नसल्याचं मत मांडलं. मोदींच्या फॉलोअर्सची वाढलेली संख्या पाहता, ही मोहीम भाजपच्या पथ्यावरच पडल्याचं बोललं जातंय.
मंगळवार, २९ ऑगस्ट, २०१७
नई दिल्ली/बीजिंगः सिक्किम की सीमा के समीप डोकलाम क्षेत्र में भारत एवं चीन की सेनाओं के बीच बीते करीब अढ़ाई महीने से बना गतिरोध समाप्त हो गया है। दोनों देशों के वहां से अपनी सेनाएं हटाने पर सहमति के साथ यह प्रक्रिया आरंभ हो गई है। विदेश मंत्रालय ने आज यहां एक बयान में कहा कि हाल के सप्ताहों में भारत एवं चीन के बीच डोकलाम की घटना को लेकर राजनयिक संवाद चला जिसमें भारत अपनी चिंताओं एवं हितों को चीन को सूचित करने एवं अपने विचारों से अवगत कराने में समर्थ रहा है।
धीरे-धीरे सेनाएं पीछे हटना शुरू
बयान में कहा गया है कि इस आधार पर डोकलाम क्षेत्र में सैनिकों को आमने-सामने से तत्परता से हटाने को लेकर सहमति बनी है और अब यह प्रक्रिया आरंभ हो गई है। भारतीय सेना के सूत्रों ने भी बताया कि डोकलाम से दोनों देशों की सेनाओं को हटाया जाना शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिये अगले सप्ताह होने वाली चीन यात्रा के पहले इस विवाद का सुलझ जाना भारतीय कूटनीति की कामयाबी मानी जा रही है।
अढ़ाई महीने चला विवाद
उल्लेखनीय है कि जून में भूटान एवं चीन के बीच विवादित डोकलाम क्षेत्र में चीन द्वारा एकतरफा ढंग से सड़क निर्माण के प्रयास का भूटानी सेना ने विरोध जताया था और चीनी सेना के उसे नहीं मानने पर भूटानी सेना के संकेत के बाद भारतीय सेना ने 16 जून को आगे बढ़कर चीनी सेना को रोका था। करीब अढ़ाई माह में दोनों देशों की सेनाओं के आमने-सामने आ खड़े होने से विश्व की दो उभरती आर्थिक महाशक्तियों के बीच गहरा तनाव उत्पन्न हो गया था।
शुक्रवार, २५ ऑगस्ट, २०१७
गुरुवार, २४ ऑगस्ट, २०१७
बुधवार, २३ ऑगस्ट, २०१७
नई दिल्ली. 1400 साल पुरानी तीन तलाक की प्रथा पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। 5 जजों की बेंच ने 3:2 की मेजॉरिटी से कहा कि तीन तलाक वॉइड (शून्य), अनकॉन्स्टिट्यूशनल (असंवैधानिक) और इलीगल (गैरकानूनी) है। बेंच में शामिल दो जजों ने कहा कि अगर सरकार तीन तलाक को खत्म करना चाहती है तो वो इस पर 6 महीने के भीतर कानून लेकर आए। मंगलवार देर शाम सरकार ने इस पर अपना स्टैंड क्लियर कर दिया। लॉ मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने कहा SC के फैसले में असंवैधानिक बताए जाने के बाद तीन तलाक के लिए कानून बनाने की जरूरत नहीं है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना था कि तीन तलाक महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है या नहीं? यह कानूनी रूप से जायज है या नहीं और तीन तलाक इस्लाम का मूल हिस्सा है या नहीं? मई में इस मामले में छह दिन सुनवाई हुई थी। इसके बाद मंगलवार को फैसला आया।
Q&A में समझें फैसले को...
1) चीफ जस्टिस खेहर ने तीन तलाक पर क्या कहा?
- चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा, "तीन तलाक मुस्लिम धर्म की रवायत है, इसमें ज्यूडिशियरी को दखल नहीं देना चाहिए। अगर केंद्र तीन तलाक को खत्म करना चाहता है तो 6 महीने के भीतर इस पर कानून लेकर आए और सभी पॉलिटिकल पार्टियां इसमें केंद्र का सहयोग करें।"
- बेंच ने अपने फैसले में कहा कि जब कई इस्लामिक देशों में तीन तलाक की प्रथा खत्म हो चुकी है तो आजाद भारत इससे निजात क्यों नहीं पा सकता?
2) तीन तलाक किस वजह से असंवैधानिक?
- यह बेंच पांच जजों की थी। चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस अब्दुल नजीर इस पक्ष में नहीं थे कि तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया जाए। वहीं, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया। इन तीन जजों ने कहा कि तीन तलाक की परंपरा मर्जी से चलती दिखाई देती है, ये संविधान का उल्लंघन है। इसे खत्म होना चाहिए।
3) कानून बनाने पर केंद्र का क्या स्टैंड है?
- कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, "फैसला पढ़ने के बाद पहली नजर में ही ये साफ हो जाता है कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच में मेजॉरिटी ने तीन तलाक को असंवैधानिक और गैरकानूनी कहा है।"
- सरकार के सीनियर ऑफिशियल ने न्यूज एजेंसी से कहा, "SC के ऑर्डर के बाद अगर कोई पति तीन तलाक देता है तो इसे वैध नहीं माना जाएगा। विवाह के लिए उसकी जिम्मेदारियां बनी रहेंगी। पत्नी को भी पूरी आजादी रहेगी कि ऐसे शख्स को वो पुलिस के हवाले कर दे और उसके खिलाफ डोमेस्टिक वायलेंस या फि हैरेसमेंट का केस करे।"
- एक टीवी चैनल पर रविशंकर प्रसाद ने कहा, "अगर चर्चा के बाद ऐसा लगता है कि कहीं कोई गैप है और कुछ छूट रहा है तो उसके लिए मंच खुला है। हम विचार करेंगे।"
4) ऐसे समझें जजों का फैसला
- तीन तलाक की विक्टिम और पिटीशनर अतिया साबरी के वकील राजेश पाठक ने DainikBhaskar.com को बताया कि बेंच ने 3:2 की मेजॉरिटी से तीन तलाक को खारिज और गैर-कानूनी करार दिया।
- वहीं, वकील सैफ महमूद के मुताबिक, चीफ जस्टिस ने कहा कि पर्सनल लॉ से जुड़े मुद्दों को न तो कोई संवैधानिक अदालत छू सकती है और न ही उसकी संवैधानिकता को वह जांच-परख सकती है। वहीं, जस्टिस नरीमन ने कहा कि तीन तलाक 1934 के कानून का हिस्सा है। उसकी संवैधानिकता को जांचा जा सकता है। तीन तलाक असंवैधानिक है।
- वहीं, वकील सैफ महमूद के मुताबिक, चीफ जस्टिस ने कहा कि पर्सनल लॉ से जुड़े मुद्दों को न तो कोई संवैधानिक अदालत छू सकती है और न ही उसकी संवैधानिकता को वह जांच-परख सकती है। वहीं, जस्टिस नरीमन ने कहा कि तीन तलाक 1934 के कानून का हिस्सा है। उसकी संवैधानिकता को जांचा जा सकता है। तीन तलाक असंवैधानिक है।
5) क्या है पिटीशनर्स और लॉ एक्सपर्ट्स की राय?
शायरा बानो
- फरवरी 2016 में उत्तराखंड की रहने वाली शायरा बानो (38) वो पहली महिला बनीं, जिन्होंने ट्रिपल तलाक, बहुविवाह (polygamy) और निकाह हलाला पर बैन लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की। शायरा को भी उनके पति ने तीन तलाक दिया था।
- शायरा ने DainikBhaskar.com से कहा, ''जजमेंट का स्वागत और समर्थन करती हूं। मुस्लिम महिलाओं के लिए बहुत ऐतिहासिक दिन है। कोर्ट ने मुस्लिम समुदाय को बेहतर दिशा दे दी है। अभी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। समाज आसानी से इसे स्वीकार नहीं करेगा। अभी लड़ाई बाकी है। इस फैसले से मुस्लिम समाज की महिलाओं को प्रताड़ना, शोषण और दुखों से आजादी मिलेगी। पुरुषों को महिलाओं के हालात को देखते हुए इसे स्वीकार करना चाहिए।''
- फरवरी 2016 में उत्तराखंड की रहने वाली शायरा बानो (38) वो पहली महिला बनीं, जिन्होंने ट्रिपल तलाक, बहुविवाह (polygamy) और निकाह हलाला पर बैन लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की। शायरा को भी उनके पति ने तीन तलाक दिया था।
- शायरा ने DainikBhaskar.com से कहा, ''जजमेंट का स्वागत और समर्थन करती हूं। मुस्लिम महिलाओं के लिए बहुत ऐतिहासिक दिन है। कोर्ट ने मुस्लिम समुदाय को बेहतर दिशा दे दी है। अभी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। समाज आसानी से इसे स्वीकार नहीं करेगा। अभी लड़ाई बाकी है। इस फैसले से मुस्लिम समाज की महिलाओं को प्रताड़ना, शोषण और दुखों से आजादी मिलेगी। पुरुषों को महिलाओं के हालात को देखते हुए इसे स्वीकार करना चाहिए।''
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
- मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा- इस मसले पर कानून लाने की जरूरत नहीं है। बोर्ड अपने कानून के हिसाब से चलता है। बोर्ड अब 10 सितंबर को भोपाल में बैठक कर आगे की रणनीति तय करेगा।
- इससे पहले बोर्ड ने माना था कि वह सभी काजियों को एडवायजरी जारी करेगा कि वे तीन तलाक पर न सिर्फ महिलाओं की राय लें, बल्कि उसे निकाहनामे में शामिल भी करें।
- वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम वुमन्स पर्सनल लॉ बोर्ड की प्रेसिडेंट शाइस्ता अंबर ने तीन तलाक को गैर-कानूनी करार देते सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की है।
- मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा- इस मसले पर कानून लाने की जरूरत नहीं है। बोर्ड अपने कानून के हिसाब से चलता है। बोर्ड अब 10 सितंबर को भोपाल में बैठक कर आगे की रणनीति तय करेगा।
- इससे पहले बोर्ड ने माना था कि वह सभी काजियों को एडवायजरी जारी करेगा कि वे तीन तलाक पर न सिर्फ महिलाओं की राय लें, बल्कि उसे निकाहनामे में शामिल भी करें।
- वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम वुमन्स पर्सनल लॉ बोर्ड की प्रेसिडेंट शाइस्ता अंबर ने तीन तलाक को गैर-कानूनी करार देते सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की है।
लॉ एक्सपर्ट
- लॉ एक्सपर्ट संदीप शर्मा ने DainikBhaskar.com को बताया- ''मुस्लिम पर्सनल लॉ में बदलाव की जरूरत है। शायरा बानो ने जो मुद्दा उठाया है, वह अहम है। तीन तलाक के मौजूदा प्रावधान में बदलाव होना ही चाहिए। पाकिस्तान, बांग्लादेश और यूएई जैसे देशों में तीन तलाक कानून बदल चुका है, फिर हमारे यहां क्यों नहीं? कॉमन सिविल कोड बाद की बात है, पहले पर्सनल लॉ में बदलाव तो हो। एक-एक कर बदलाव किए जा सकते हैं।''
- ''पहले हिंदुओं में भी बहुविवाह प्रथा थी। 1956 में कानून में बदलाव कर हिंदू विवाह कानून के तहत एक विवाह का नियम बनाया गया। मुस्लिम पर्सनल लॉ में भी अगर बदलाव की जरूरत है तो होनी चाहिए। महिलाएं चाहें किसी भी धर्म की हों, उन्हें सुरक्षा मुहैया कराना संवैधानिक जिम्मेदारी है। संविधान समानता की बात करता है और अगर पर्सनल लॉ इसमें आड़े आता है तो उसे भी बदला जा सकता है। शादी चाहे किसी भी तरीके से हो, उसके बाद की स्थिति, तलाक और गुजारा भत्ता का मामला एक समान होना चाहिए।''
- लॉ एक्सपर्ट संदीप शर्मा ने DainikBhaskar.com को बताया- ''मुस्लिम पर्सनल लॉ में बदलाव की जरूरत है। शायरा बानो ने जो मुद्दा उठाया है, वह अहम है। तीन तलाक के मौजूदा प्रावधान में बदलाव होना ही चाहिए। पाकिस्तान, बांग्लादेश और यूएई जैसे देशों में तीन तलाक कानून बदल चुका है, फिर हमारे यहां क्यों नहीं? कॉमन सिविल कोड बाद की बात है, पहले पर्सनल लॉ में बदलाव तो हो। एक-एक कर बदलाव किए जा सकते हैं।''
- ''पहले हिंदुओं में भी बहुविवाह प्रथा थी। 1956 में कानून में बदलाव कर हिंदू विवाह कानून के तहत एक विवाह का नियम बनाया गया। मुस्लिम पर्सनल लॉ में भी अगर बदलाव की जरूरत है तो होनी चाहिए। महिलाएं चाहें किसी भी धर्म की हों, उन्हें सुरक्षा मुहैया कराना संवैधानिक जिम्मेदारी है। संविधान समानता की बात करता है और अगर पर्सनल लॉ इसमें आड़े आता है तो उसे भी बदला जा सकता है। शादी चाहे किसी भी तरीके से हो, उसके बाद की स्थिति, तलाक और गुजारा भत्ता का मामला एक समान होना चाहिए।''
6) तलाक-ए-बिद्दत पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
- चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने अपने फैसला में कहा कि तलाक-ए-बिद्दत सुन्नी कम्युनिटी का हिस्सा है। यह 1000 साल से कायम है। तलाक-ए-बिद्दत संविधान के आर्टिकल 14, 15, 21 और 25 का वॉयलेशन नहीं करता।
- चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने अपने फैसला में कहा कि तलाक-ए-बिद्दत सुन्नी कम्युनिटी का हिस्सा है। यह 1000 साल से कायम है। तलाक-ए-बिद्दत संविधान के आर्टिकल 14, 15, 21 और 25 का वॉयलेशन नहीं करता।
7) क्या है तलाक-ए-बिद्दत?
- तलाक-ए-बिद्दत यानी एक ही बार में तीन बार तलाक कह देना। ऐसा तलाकनामा लिखकर किया जा सकता है या फिर फोन से या टेक्स्ट मैसेज के जरिए भी किया जा सकता है। इसके बाद अगर पुरुष को यह लगता है कि उसने जल्दबाजी में ऐसा किया, तब भी तलाक को पलटा नहीं जा सकता। तलाकशुदा जोड़ा फिर हलाला के बाद ही शादी कर सकता है।
- तलाक-ए-बिद्दत यानी एक ही बार में तीन बार तलाक कह देना। ऐसा तलाकनामा लिखकर किया जा सकता है या फिर फोन से या टेक्स्ट मैसेज के जरिए भी किया जा सकता है। इसके बाद अगर पुरुष को यह लगता है कि उसने जल्दबाजी में ऐसा किया, तब भी तलाक को पलटा नहीं जा सकता। तलाकशुदा जोड़ा फिर हलाला के बाद ही शादी कर सकता है।
8) क्या है तीन तलाक, निकाह हलाला और इद्दत?
- ट्रिपल तलाक यानी पति तीन बार ‘तलाक’ लफ्ज बोलकर अपनी पत्नी को छोड़ सकता है। निकाह हलाला यानी पहले शौहर के पास लौटने के लिए अपनाई जाने वाली एक प्रॉसेस। इसके तहत महिला को अपने पहले पति के पास लौटने से पहले किसी और से शादी करनी होती है और उसे तलाक देना होता है।
- सेपरेशन के वक्त को इद्दत कहते हैं। बहुविवाह यानी एक से ज्यादा पत्नियां रखना। कई मामले ऐसे भी आए, जिसमें पति ने वॉट्सऐप या मैसेज भेजकर पत्नी को तीन तलाक दे दिया।
- ट्रिपल तलाक यानी पति तीन बार ‘तलाक’ लफ्ज बोलकर अपनी पत्नी को छोड़ सकता है। निकाह हलाला यानी पहले शौहर के पास लौटने के लिए अपनाई जाने वाली एक प्रॉसेस। इसके तहत महिला को अपने पहले पति के पास लौटने से पहले किसी और से शादी करनी होती है और उसे तलाक देना होता है।
- सेपरेशन के वक्त को इद्दत कहते हैं। बहुविवाह यानी एक से ज्यादा पत्नियां रखना। कई मामले ऐसे भी आए, जिसमें पति ने वॉट्सऐप या मैसेज भेजकर पत्नी को तीन तलाक दे दिया।
9) सुप्रीम कोर्ट में कितनी पिटीशंस दायर हुई थीं?
- मुस्लिम महिलाओं की ओर से 7 पिटीशन्स दायर की गई थीं। इनमें अलग से दायर की गई 5 रिट-पिटीशन भी थीं। इनमें दावा किया गया कि तीन तलाक अनकॉन्स्टिट्यूशनल है।
- मुस्लिम महिलाओं की ओर से 7 पिटीशन्स दायर की गई थीं। इनमें अलग से दायर की गई 5 रिट-पिटीशन भी थीं। इनमें दावा किया गया कि तीन तलाक अनकॉन्स्टिट्यूशनल है।
क्या है भारत में तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं की स्थिति?
- देश में मुस्लिमों की आबादी 17 करोड़ है। इनमें करीब आधी यानी 8.3 करोड़ महिलाएं हैं।
- 2011 के सेंसस पर एनजीओ 'इंडियास्पेंड' के एनालिसिस के मुताबिक, भारत में अगर एक मुस्लिम तलाकशुदा पुरुष है तो तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं की संख्या 4 है। भारत में तलाकशुदा महिलाओं में 68% हिंदू और 23.3% मुस्लिम हैं।
- देश में मुस्लिमों की आबादी 17 करोड़ है। इनमें करीब आधी यानी 8.3 करोड़ महिलाएं हैं।
- 2011 के सेंसस पर एनजीओ 'इंडियास्पेंड' के एनालिसिस के मुताबिक, भारत में अगर एक मुस्लिम तलाकशुदा पुरुष है तो तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं की संख्या 4 है। भारत में तलाकशुदा महिलाओं में 68% हिंदू और 23.3% मुस्लिम हैं।
10) मामले में पक्ष कौन-कौन थे?
केंद्र: इस मुद्दे को मुस्लिम महिलाओं के ह्यूमन राइट्स से जुड़ा मुद्दा बताता है। ट्रिपल तलाक का सख्त विरोध करता है।
पर्सनल लॉ बाेर्ड: इसे शरीयत के मुताबिक बताते हुए कहता है कि मजहबी मामलों से अदालतों को दूर रहना चाहिए।
जमीयत-ए-इस्लामी हिंद: ये भी मजहबी मामलों में सरकार और कोर्ट की दखलन्दाजी का विरोध करता है। यानी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ खड़ा है।
मुस्लिम स्कॉलर्स: इनका कहना है कि कुरान में एक बार में तीन तलाक कहने का जिक्र नहीं है।
केंद्र: इस मुद्दे को मुस्लिम महिलाओं के ह्यूमन राइट्स से जुड़ा मुद्दा बताता है। ट्रिपल तलाक का सख्त विरोध करता है।
पर्सनल लॉ बाेर्ड: इसे शरीयत के मुताबिक बताते हुए कहता है कि मजहबी मामलों से अदालतों को दूर रहना चाहिए।
जमीयत-ए-इस्लामी हिंद: ये भी मजहबी मामलों में सरकार और कोर्ट की दखलन्दाजी का विरोध करता है। यानी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ खड़ा है।
मुस्लिम स्कॉलर्स: इनका कहना है कि कुरान में एक बार में तीन तलाक कहने का जिक्र नहीं है।
बेंच में हर धर्म के जज थे
- बेंच में चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल थे। इस बेंच की खासियत यह थी कि इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और पारसी धर्म को मानने वाले जज शामिल थे।
- बेंच में चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल थे। इस बेंच की खासियत यह थी कि इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और पारसी धर्म को मानने वाले जज शामिल थे।
मंगळवार, १५ ऑगस्ट, २०१७
शनिवार, २९ जुलै, २०१७
पिंपरी – बिहारमध्ये भाजपने घडवून आणलेल्या राजकीय भूकंपाचे हादरे पिंपरी-चिंचवडमध्येही जाणवण्याची शक्यता निर्माण झाली आहे. शिवसेना आणि राष्ट्रवादीत राहून राजकीय आत्महत्या करण्यापेक्षा भाजपमध्ये गेलेले बरे, असा विचार स्थानिक नेते करू लागले आहेत. शिवसेना आणि राष्ट्रवादीचे काही स्थानिक नेते भाजपमध्ये जाण्याची चाचपणी करत असल्याचे राजकीय वर्तुळात बोलले जात आहे. लोकसभा निवडणुकीला अजून दीड वर्ष बाकी आहे. त्यामुळे येत्या सहा महिन्यांनंतर पिंपरी-चिंचवडमध्ये पक्षांतराच्या राजकीय घडामोडींना वेग येणार असून, कोणकोणते बडे मासे भाजपच्या गळाला लागणार, हे पाहणे उत्सुकतेचे ठरणार आहे.
२०१४ मध्ये झालेल्या लोकसभा निवडणुकीनंतर संपूर्ण देशात मोदी लाट निर्माण झाली. मात्र बिहारमध्ये नितीश कुमार यांनी मोदी लाटेला ब्रेक लावला होता. लालू प्रसाद यादव आणि काँग्रेससोबत आघाडी करून नितीश कुमार यांनी बिहारमध्ये भाजपला सत्ता मिळू दिली नाही. मात्र अवघ्या २० महिन्यांत आघाडीतून बाहेर पडून नितीश कुमार यांनी बिहारमध्ये भाजपसोबत सत्ता स्थापन केली. बिहारमध्ये घडलेल्या या वेगवान राजकीय घडामोडींमुळे देशाच्या राजकारणात भूकंप झाला आहे. २०१९ च्या लोकसभा निवडणुकीचा निकाल काय असणार, हे दीड वर्ष आधीच स्पष्ट झाले आहे. या भूकंपामुळे भाजपने अपवाद वगळता संपूर्ण देशाच्या राजकारणात वर्चस्व प्रस्थापित केले आहे.
बिहारमधील या राजकीय भूंकपाचे पिंपरी-चिंचवडलाही हादरे बसण्यास सुरूवात झाली आहे. महापालिका निवडणुकीत राजकारणातील बलवान असणाऱ्या अजितदादा पवार यांना धूळ चारून भाजपने कार्यकर्त्यांचा आत्मविश्वास वाढविला. आता लोकसभा निवडणूक डोळ्यासमोर ठेवून पिंपरी-चिंचवडचा समावेश असलेल्या मावळ आणि शिरूर या दोन्ही मतदारसंघात कमळ फुलविण्यासाठी पक्ष जय्यत तयारीला लागला आहे. शहराचे राजकारण भाजपच्या बाजूने झुकणारे असल्यामुळे शिवसेना आणि राष्ट्रवादीतील स्थानिक बड्या नेत्यांमध्ये चलबिचल सुरू झाली आहे. पक्षातच राहून राजकीय आत्महत्या करायची की भाजपला जवळ करायचे, याचा विचार या नेत्यांनी सुरू केला आहे.
शुक्रवार, ३० जून, २०१७
|| दिल्ली चे तख्त राखीतो महाराष्ट्र माझा ||
या म्हनीप्रमाणे आपल्या भारत देशातील महत्त्वपूर्ण राज्य असलेल्या महाराष्ट्र राज्याची “नरेंद्र मोदीविचार मंच” या आंतराष्ट्रीय संघटनेची जबाबदारी जळगाव जिल्हयातील पाचोरा तालुक्यातील बदर्खे या छोट्याशा गावात जन्मघेतलेल्या आणि हया गावातच जेमतेम दहावी, बारावीपर्यंत चे शिक्षण घेउन, नंतर शिक्षणाचे माहेर घर असणारे पुणे शहरात माहितीतंत्रज्ञान चे शिक्षण घेतले आणि सामाजिक क्षेत्रात सर्वसामान्य कुटुंबात जन्म झाला हेच माझे सैभाग्य समजतो.
देशाच्या कामासाठी एक बांधिलकी जपत कार्यकरता म्हणून ओळख निर्माण करणारे आपल्या महानअशा अखंड भारताचा जनसेक प्रमोद सुशिलाबाई रोहीदास परदेशी म्हणजेच माझ्याकडे सोपवली आहे. सर्व सामान्य जनतेच्याकल्याणासाठी उधारासाठी "जण क्रांती " ची स्थापना २०१४ साली केली. समाजावर व सर्वसामान्य अशा जनतेवर होणाऱ्याअन्यायावर पेटून उठन्यासाठी "नरेंद्र मोदी विचार मंच" या संघटनेने माझी दाखल घेतली व दिल्ली आणि फरीदाबाद, येथे झालेल्याराष्ट्रीय अधिवेशनामध्ये महाराष्ट्र प्रदेश युवक अध्यक्ष म्हणून माझी निवड केली. मुख्य राष्ट्रीय महासचिव मा जे पी सिंह यांच्यानेत्रुत्वाखाली सम्पूर्ण भारतभर या संघटनेचा प्रसार व जाळे पसरले आहेत.
"नरेंद्र मोदी विचार मंच" ही आंतराष्ट्रीय संघटना आदरणीय पंतप्रधान नरेंद्रजी मोदी यांच्याविचारावंर सामाजिक, संस्कृतिक व शैक्षनिक क्षेत्रात काम करण्यासाठी उदयास आलेली संघटना आहे.
मा पंतप्रधान नरेंद्रजी मोदी यांच्या विचारवंर "नरेंद्र मोदी विचार मंच" ही संघटना भारत, नेपाळआणि अमेरिका या देशात उत्कृष्ट काम करीत आहे. नरेंद्र मोदीजीच्या स्वप्नातील व त्यांचे महान असे कार्य, त्यांच्या उच्च विचारांची इमारत भारतातील प्रत्येक व्यक्ति, नागरिक यांच्या मनात रुजवून त्यांचे रुपांतर विकास गंगेत करण्याचे काम "नरेंद्र मोदीविचार मंच" सम्पूर्ण भरतात कार्य करीत आहे.
असंख्य अशा योजना आधुनिक योजना आदरणीय पंतप्रधान मोदीजी यांच्या विचाराने प्रथमचइतिहास निर्माण झाला. त्याचाच एक भाग म्हणजे भारत देश महान तर आहेच परंतु महासत्तेकडे वाटचाल करीत आहे, त्याचीजबाबदारी म्हणून आज सम्पूर्ण महाराष्ट्र भर आदरणीय पंतप्रधान नरेंद्र मोदीचे विचार तलागलत व सर्व सामान्य जनते पर्यंतपोहेचविन्यासाचे उत्कृष्ट अशा प्रकारे काम सुरू केले आहे. ३० जून रोजी माझ्या वाढदिवसा निमित्त तसेच १ जुलै पर्यावरण दिवसाचेऔचित्त्व साधून "नरेंद्र मोदी विचार मंच" महाराष्ट्र प्रदेशच्या वतीने राज्यात विविध जिल्हयात मध्ये 10, 000/- हजार वृक्षरोपनाचासंकल्प आम्ही केलेला आहे.
|| चला एक व्यक्ति एक रोपटे लावु व पर्यावरनाचा समतोल ठेऊ ||
नरेंद्र मोदी यांच्या विचाराने २०१४ साली मोठी क्रांती घडून या महान अशा भारत देशात बदल घडविला, आमचा निर्धार हामहराष्ट्रातील एक क्रांती म्हणजे "जण क्रांती" च्या रूपाने पुन्हा आम्ही घडवू. देशाच्या विकासात योगदान देण्यासाठी महाराष्ट्राच्यारूपाने मला महान अशी मोठी संधी मिळाली तिचे नक्कीच सार्थक करेल हा विश्वास व्यक्त करतो.
महाराष्ट्रातील सर्व सम्माननीय नेते, युवक-युवती, जेष्ठ नागरिक, शिक्षक, डॉक्टर, वकील, इंजिनीयर, कामगार, शेतकरी बांधव वपत्रकार इ. सर्व महाराष्ट्रातील नागरीकाना पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या विचार व कार्याचे महत्त्व ताळागळास मानून विकासजलसर्वसामान्य पर्यंत पोहचविण्यासाठी ठामपाने सामील होत आहे . ह्या साऱ्या गोष्टीवर कामे ही चालू आहे !!
उद्याच्या सुजलां सूफलाम अशा महासत्ता बनण्यासाठी भारत देशाला तुम्ही सात द्या व आपले लाडके वैधनिक माजी राष्ट्रपती डॉ.ए. पी. जे. अब्दुल कलाम यांचे “Mission २०२०" स्वप्न पूर्ण मी एकटा नाही तर , सबका साथ सबका विकास "ह्या मोदिजिच्याप्रेरणेने आपल्या स्वप्नातील भारत देश चला घडूया .✍*
जय भारत.! 🇮🇳🇮🇳
ना जातिवाद ! ना प्रांतवाद !! अब चलेगा सिर्फ विकासवाद !!!
-@सिधार्थ भोजणे
या म्हनीप्रमाणे आपल्या भारत देशातील महत्त्वपूर्ण राज्य असलेल्या महाराष्ट्र राज्याची “नरेंद्र मोदीविचार मंच” या आंतराष्ट्रीय संघटनेची जबाबदारी जळगाव जिल्हयातील पाचोरा तालुक्यातील बदर्खे या छोट्याशा गावात जन्मघेतलेल्या आणि हया गावातच जेमतेम दहावी, बारावीपर्यंत चे शिक्षण घेउन, नंतर शिक्षणाचे माहेर घर असणारे पुणे शहरात माहितीतंत्रज्ञान चे शिक्षण घेतले आणि सामाजिक क्षेत्रात सर्वसामान्य कुटुंबात जन्म झाला हेच माझे सैभाग्य समजतो.
देशाच्या कामासाठी एक बांधिलकी जपत कार्यकरता म्हणून ओळख निर्माण करणारे आपल्या महानअशा अखंड भारताचा जनसेक प्रमोद सुशिलाबाई रोहीदास परदेशी म्हणजेच माझ्याकडे सोपवली आहे. सर्व सामान्य जनतेच्याकल्याणासाठी उधारासाठी "जण क्रांती " ची स्थापना २०१४ साली केली. समाजावर व सर्वसामान्य अशा जनतेवर होणाऱ्याअन्यायावर पेटून उठन्यासाठी "नरेंद्र मोदी विचार मंच" या संघटनेने माझी दाखल घेतली व दिल्ली आणि फरीदाबाद, येथे झालेल्याराष्ट्रीय अधिवेशनामध्ये महाराष्ट्र प्रदेश युवक अध्यक्ष म्हणून माझी निवड केली. मुख्य राष्ट्रीय महासचिव मा जे पी सिंह यांच्यानेत्रुत्वाखाली सम्पूर्ण भारतभर या संघटनेचा प्रसार व जाळे पसरले आहेत.
"नरेंद्र मोदी विचार मंच" ही आंतराष्ट्रीय संघटना आदरणीय पंतप्रधान नरेंद्रजी मोदी यांच्याविचारावंर सामाजिक, संस्कृतिक व शैक्षनिक क्षेत्रात काम करण्यासाठी उदयास आलेली संघटना आहे.
मा पंतप्रधान नरेंद्रजी मोदी यांच्या विचारवंर "नरेंद्र मोदी विचार मंच" ही संघटना भारत, नेपाळआणि अमेरिका या देशात उत्कृष्ट काम करीत आहे. नरेंद्र मोदीजीच्या स्वप्नातील व त्यांचे महान असे कार्य, त्यांच्या उच्च विचारांची इमारत भारतातील प्रत्येक व्यक्ति, नागरिक यांच्या मनात रुजवून त्यांचे रुपांतर विकास गंगेत करण्याचे काम "नरेंद्र मोदीविचार मंच" सम्पूर्ण भरतात कार्य करीत आहे.
असंख्य अशा योजना आधुनिक योजना आदरणीय पंतप्रधान मोदीजी यांच्या विचाराने प्रथमचइतिहास निर्माण झाला. त्याचाच एक भाग म्हणजे भारत देश महान तर आहेच परंतु महासत्तेकडे वाटचाल करीत आहे, त्याचीजबाबदारी म्हणून आज सम्पूर्ण महाराष्ट्र भर आदरणीय पंतप्रधान नरेंद्र मोदीचे विचार तलागलत व सर्व सामान्य जनते पर्यंतपोहेचविन्यासाचे उत्कृष्ट अशा प्रकारे काम सुरू केले आहे. ३० जून रोजी माझ्या वाढदिवसा निमित्त तसेच १ जुलै पर्यावरण दिवसाचेऔचित्त्व साधून "नरेंद्र मोदी विचार मंच" महाराष्ट्र प्रदेशच्या वतीने राज्यात विविध जिल्हयात मध्ये 10, 000/- हजार वृक्षरोपनाचासंकल्प आम्ही केलेला आहे.
|| चला एक व्यक्ति एक रोपटे लावु व पर्यावरनाचा समतोल ठेऊ ||
नरेंद्र मोदी यांच्या विचाराने २०१४ साली मोठी क्रांती घडून या महान अशा भारत देशात बदल घडविला, आमचा निर्धार हामहराष्ट्रातील एक क्रांती म्हणजे "जण क्रांती" च्या रूपाने पुन्हा आम्ही घडवू. देशाच्या विकासात योगदान देण्यासाठी महाराष्ट्राच्यारूपाने मला महान अशी मोठी संधी मिळाली तिचे नक्कीच सार्थक करेल हा विश्वास व्यक्त करतो.
महाराष्ट्रातील सर्व सम्माननीय नेते, युवक-युवती, जेष्ठ नागरिक, शिक्षक, डॉक्टर, वकील, इंजिनीयर, कामगार, शेतकरी बांधव वपत्रकार इ. सर्व महाराष्ट्रातील नागरीकाना पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या विचार व कार्याचे महत्त्व ताळागळास मानून विकासजलसर्वसामान्य पर्यंत पोहचविण्यासाठी ठामपाने सामील होत आहे . ह्या साऱ्या गोष्टीवर कामे ही चालू आहे !!
उद्याच्या सुजलां सूफलाम अशा महासत्ता बनण्यासाठी भारत देशाला तुम्ही सात द्या व आपले लाडके वैधनिक माजी राष्ट्रपती डॉ.ए. पी. जे. अब्दुल कलाम यांचे “Mission २०२०" स्वप्न पूर्ण मी एकटा नाही तर , सबका साथ सबका विकास "ह्या मोदिजिच्याप्रेरणेने आपल्या स्वप्नातील भारत देश चला घडूया .✍*
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-@सिधार्थ भोजणे
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